363 स्कूलों में प्रधानाध्यापक नहीं, 59 स्कूलों में एक-एक शिक्षक
परिषदीय विद्यालयों को कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर हाईटेक बनाने की कवायद चल रही है, लेकिन समायोजन न होने से यह कवायद रंग लाती नहीं दिख रही है। हालत यह है कि जिले के 59 विद्यालय एक-एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं।
वहीं 363 विद्यालयों में प्रधानाध्यापक ही नहीं है। यहां प्रभारी प्रधानाध्यापक जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। नगर क्षेत्र के 8 विद्यालय शिक्षामित्रों के भरोसे हैं। चार विद्यालयों में किसी शिक्षक की तैनाती नहीं है। यहां पास के स्कूलों से शिक्षकों को अटैच कर काम चलाया जा रहा है।
जिले में 2266 परिषदीय विद्यालय संचालित हैं। इनमें 1462 प्राथमिक, 350 उच्च प्राथमिक एवं 454 कंपोजिट विद्यालय हैं। प्रेरणा पोर्टल पर 239031 बच्चे नामांकित हैं इनको पढ़ाने के लिए यू-डायस पोर्टल के अनुसार 8362 शिक्षक,2589 शिक्षामित्र एवं 383 अनदेशकों की तैनाती है। कॉन्वेंट स्कूलों से प्रतिस्पर्धा की दौड़ में परिषदीय विद्यालयों को हाईटेक बनाकर स्मार्ट कक्षाओं की संरचना तैयार की जा रही है, लेकिन यह प्रयास रंग लाता नहीं दिखाई दे रहा है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से पांच तक की कक्षाओं में 30 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती होनी चाहिए। इसी तरह कक्षा छह से आठ के 35 बच्चों में 1शिक्षक होना चाहिए। बावजूद इसके शिक्षकों का समायोजन न होने से अधिकतर विद्यालयों में यह मानक पूरा नहीं हो पा रहा है। हालत यह है कि जिले के 363 विद्यालयो में स्थायी प्रधानाध्यापक ही नहीं हैं। यहां का काम प्रभारियों से चलाया जा रहा है। 59 विद्यालयों में एक एक शिक्षक की तैनाती है।
नगर क्षेत्र के आठ विद्यालय शिक्षामित्रों के सहारे हैं। चार विद्यालय ऐसे हैं जहां शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई है। इन विद्यालयों में पठन-पाठन प्रभावित न हो इसके लिए पास के स्कूलों के शिक्षकों को अटैच कर बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है।
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