'Khel khel mein' मूवी रिव्यू
कुल जमा आठ साल हुए हैं इटली की फिल्म ‘परफेक्ट स्ट्रेंजर्स’ को रिलीज हुए और अकेले भारत में अब तक इस फिल्म का चार बार रीमेक हो चुका है। कन्नड में ये फिल्म साल 2018 में ur ‘लाउडस्पीकर’ नाम से बनी और हिट रही। इसके बाद मलयालम में दो बार बनी। एक बार अनाधिकारिक रीमेक और दूसरी बार आधिकारिक रीमेक के तौर पर ‘ट्वेल्थ मैन’ और ‘1001 नुनाकल’ के नाम से। और, अब बारी है इसके आधिकारिक हिंदी रीमेक यानी फिल्म ‘खेल खेल में’ की। फिल्म ‘खेल खेल में’ ऐसे समय में रिलीज हो रही है, जब हर घर में मोबाइल के चक्कर में सिर फूट रहे हैं, मोबाइल न खेलने देने पर बच्चे रूठ जा रहे हैं। लेकिन, यहां मामला मियां-बीवी के मोबाइल फोन्स का है। क्या दोनों अपने-अपने फोन एक दूसरे को दिखा सकते हैं? तमिल फिल्म ‘लव हॉस्टल’ में अपनी बेटी की शादी करने से पहले उसका पिता होने वाले दामाद और बेटी के मोबाइल फोन की अदला बदली करा देता है, यहां मामला सब कुछ साफ साफ और आंखों के सामने होना है। अब खेल खेल में ही सही पर सारे रिश्ते कसौटी पर हैं, और जज भी सारे ही हैं।
उलझी हुई कहानी से सुलझते रिश्ते
अक्षय कुमार का कॉमेडी में हाथ अच्छा सधा रहा है। फिल्म ‘खेल खेल में’ में वह ‘हेराफेरी’ और ‘हाउसफुल’ वाले मोड में लौटे हैं। काले-सफेद बालों के साथ अक्षय और स्मार्ट लगते हैं, इसमें दो राय नहीं हैं। यहां वह एक टीनएजर बच्ची के पिता है और दूसरी शादी में खुश हैं। फिल्म उनके छलांग लगाने से ही शुरू होती है और हवाई जहाज में चित्रांगदा सिंह के साथ उनका संवाद ये स्थापित करता चलता है कि झूठ बोलने में बुराई नहीं है, अगर ये साफगोई से बोला जाए और इसका उद्देश्य किसी को दिल दुखाना न हो। साली की शादी में पहुंचना है। बीवी साथ है। तीन दोस्त और भी साथ हैं। दो अपनी बीवियों के साथ। तीसरा अकेला, वह अकेला क्यों है, ये इस फिल्म की बहुत संवेदनशील अंतर्धारा है। ‘खेल खेल में’ सब एक टेबल पर खेलने बैठ जाते हैं एक ऐसा खेल जो इनके सारे राज रात भर में ही खोल देता है। फिल्म देखते समय अजीब तो लगता है कि सारे फोन, मैसेज और ईमेल सिर्फ पतलून उतारने वाले ही क्यों आ रहे हैं लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म जब रफ्तार पकड़ती है तो ये सारे सवाल कुछ देर के लिए जहन में आते ही नहीं हैं.
साढ़े तीन मैच्योर लव स्टोरियां
फिल्म ‘खेल खेल में’ की पृष्ठभूमि रईसों वाली रखी गई है। फिल्मांकन भी बहुत रईसी अंदाज में ही हुआ है लेकिन ये समस्या अब सिर्फ अमीरों के घर की नहीं बल्कि देशव्यापी या ये कहें कि अंतर्राष्ट्रीय हो चुकी है। पति को पत्नी से और पत्नी को पति से अपना मोबाइल फोन छुपाना है। दोनों को कभी अपने अतीत से तो कभी अपने वर्तमान से दिल बहलाना है। यहां कभी दोस्तों की मदद के लिए तलाशी गई ‘एस्कॉर्ट’ का ईमेल माहौल खराब करता है, तो कभी दफ्तर में तरक्की के चक्कर में पुरुषों के शारीरिक शोषण का मामला। लेकिन, ये बहुत ही सामयिक मुद्दे ही इस फिल्म को आज की फिल्म बनाते हैं। और समलैंगिक रिश्तों को लेकर अपने सबसे करीबियों की बनती बिगड़ती धारणाओं पर ये फिल्म सीधे चोट करती है। एक कॉमेडी फिल्म के तौर पर अपना शामियाना तानने में काफी वक्त लेने वाली ये फिल्म जब एक बार लय में आती है तो फिर एक प्रौढ़ प्रेम कथा या कहें कि साढ़े तीन प्रौढ़ प्रेम कथाओं में तब्दील हो जाती है।
मुदस्सर फिर बने दर्शकों के अजीज
आधा दर्जन से ज्यादा निर्माताओं की मिलकर बनाई गई फिल्म ‘खेल खेल में’ की कमान निर्देशक मुदस्सर अजीज ने बखूबी संभाली है। इंटरवल के पहले दिमाग में आने वाले सारे सवालों का जवाब वह बखूबी इंटरवल के बाद दे देते हैं। एक साथ सात कलाकारों को एक ही छत के नीचे बनाए रखना, पूरी कहानी को रात भर की कहानी में समेट लाना और इतने संकरे रास्ते में भी हर कलाकार को अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा मौका देना, मुदस्सर की इस फिल्म में सबसे बड़ी जीत है। निर्देशक आदित्य दत्त की हिट फिल्म ‘आशिक बनाया आपने’ से बतौर लेखक अपनी शुरुआत करने वाले मुदस्सर ने ओरिजनल फिल्में बनाने में भी मेहनत खूब की लेकिन नाम उनकी पिछली फिल्म ‘पति पत्नी और वो’ से ही सबसे ज्यादा हुआ, और ये फिल्म भी एक क्लासिक का मॉडर्न रीमेक ही थी। फिल्म ‘खेल खेल में’ उनके दामन में तीन सितारे इसलिए टांकती है क्योंकि यहां वह कलाकारों की एक बड़ी बरात को फेरों तक लाने में कामयाब रहे हैं।
अब चौपाल के चक्कर में अक्षय कुमार
फिल्म ‘खेल खेल में’ का मुख्य आकर्षण अक्षय कुमार हैं। अक्षय कुमार की आने वाली फिल्मों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि सोलो हीरो वाली फिल्में अब वह कम करते जा रहे हैं और मल्टीस्टारर के जरिये अपनी गाड़ी आगे खींचने की कोशिश ज्यादा कर रहे हैं। एक्सपेरिमेंट सफल होता दिख भी रहा है। उनकी कॉमेडी की टाइमिंग कमाल रही है और भावनात्मक दृश्य सही मिलें तो वह थोड़ा बहुत कमाल वहां भी कर लेते हैं। इस फिल्म में अपनी बेटी के अपने बॉयफ्रेंड के साथ ‘स्लीपओवर’ के लिए रुकने की सूचना देने वाली बेटी की फोन कॉल पर उसकी काउंसलिंग वाला दृश्य अक्षय ने कमाल निभाया है। क्लाइमेक्स में शादी के समय वाला सीन भी अक्षय की वजह से ही सुंदर बना। फिल्म में दूसरे नंबर पर प्रभावित करने वाली कलाकार रहीं प्रज्ञा जायसवाल। 10 साल पहले वह हिंदी फिल्म ‘टीटू एमबीए’ में नजर आई थीं, ये हिंदी सिनेमा में उनकी दूसरी पारी है। बीते 10 साल उन्होंने साउथ में बड़े कमाल किए। इस रास्ते की उनकी सीनियर तापसी पन्नू ने भी फिल्म ‘खेल खेल में’ में अपनी इमेज बदलने की कोशिश भरपूर की है। कॉमेडी उन्हें सूट भी करती है लेकिन थोड़ा ओवरएक्टिंग से उनको बचना चाहिए।
फिर वही हिंदी फिल्मों के पंजाबी गीत
एमी विर्क, आदित्य सील और वाणी कपूर यहां ‘फिल इन द ब्लैंक्स’ है। इसके बावजूद एमी विर्क इन तीनों के बीच नंबर वन रहे, अपनी खास अदाकारी के चलते। आदित्य सील के फोन पर तड़के तीन बजे होने वाला खुलासा चौंकाता है और इस दृश्य में वह भावनात्मक अभिनय अच्छा कर गए हैं। वाणी कपूर के लिए पूरी फिल्म में कुछ खास करने लायक नहीं है। उनका अभिनय भी थोड़ी ट्रेनिंग और मांगता है। अपने पति की पहली शादी से हुई बेटी की दोस्त बनने की कोशिश करने वाला दृश्य बहुत भावनात्मक दृश्य हो सकता था, अगर इसे ढंग से लिखा गया होता और वाणी ने इसका अप्रोच थोड़ा अलग रखा होता, तो कुछ और बात होती। तकनीकी रूप से फिल्म अच्छी बन पड़ी है। मनोज कुमार खटोई की सिनेमैटोग्राफी वर्ल्ड क्लास है। निनाद खानोलकर ने फिल्म की एडिटिंग बढ़िया की है। टी सीरीज का सारा फोकस अपनी फिल्मों में अपने पंजाबी गायकों को प्रमोट करने पर रहता है। यहां भी मामला कुछ कुछ वैसा ही है। एक मेलोडी वाला गाना हिंदी गाना इसमें और होता तो क्या ही रौनक जमती फिल्म की..! लेकिन, फिल्म में तीन बढ़िया मैच्योर लव स्टोरियां हैं और फरदीन खान की स्टोरी पर मैं जानबूझकर यहां नहीं लिख रहा, उसका लेवल ही अलग है।
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