AI: सुविधाओं की खुलती खिड़कियां और नौकरियों के बंद होते दरवाजे; भारत में तैयार हो रहा सॉफ्टवेयर

 भगवान कृष्ण की 16008 रानियां थी और वह हर समय सबके पास रहते थे। कुछ इसी तर्ज में देश के सूचना प्रौद्योगिकी के विज्ञानी आर्टिपिशयिल इंटेलीजेंस पर काम कर रहे हैं। राजेश चौधरी एलटीआई माइंड ट्री जैसी आईटी क्षेत्र की कंपनी में उच्च पद पर अपनी सेवा दे रहे हैं। बताते हैं कि जल्द एक स्मार्ट ब्लौकबोर्ड हमारा शिक्षक हजारों छात्रों को सफलता पूर्व पढ़ाता मिलेगा। हर छात्र की जिज्ञासा समाप्त करेगा और अच्छे प्रोफेशनल भी तैयार होंगे। अमेरिका में बैठकर सर्जन भारत के अस्पताल में किसी भी जटिल आपरेशन को सफलता पूर्वक कर सकेगा।





चौधरी का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंश के विज्ञानी भारत में ही ऐसे सॉफाटवेयर को तैयार करने में जुटे हैं। राजेश कहते हैं कि दो-तीन साल में ऐसी मशीन और साफ्टवेयर बनकर तैयार हो जाएंगे। इनके जरिए अमेरिका, सिंगापुर या दुनिया के किसी हिस्से में बैठा चिकित्सक भारत के मरीज को न केवल देख सकेगा, बल्कि उसका जटिल से जटिल आपरेशन भी कर सकेगा। अनुपम सिंह नोएडा में एक बड़ी आईटी कंपनी को अपनी सेवा दे रहे हैं। अनुपम के मुताबिक उन्होंने टाटा समूह में भी अपनी सेवाएं दी है। वहां ऐसा सॉफ्टवेयर काम कर रहा है जिसे पहले 500 सीए मिलकर कर रहे थे। अनुपम कहते हैं कि अभी तो टेक्नोलॉजी इनोवेशन का दौर चल रहा है। बस देखते जाइए आने वाले समय में क्या-क्या दिखाई देता है। पार्थिक कुमार राजपूत बंग्लोर में रोबोट टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में क्रांति लाने में जुटे हैं। पार्थिक कहते हैं कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बहुत कुछ बदलकर रख देगा। आटो मोबाइल क्षेत्र में इसने काफी कुछ बदलतकर रख दिया है। 

सुविधाओं की खुल रही है खिड़कियां और नौकरियों के बंद हो रहे हैं दरवाजे

परविंदर सिंह कहते हैं कि मोबाइल टेलीकॉम, इंटरनेट, रेलवे, बैंकिंग, इश्योरेंस समेत तमाम सेंटरों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सेवाएं शुरू हो गई हैं। परविंदर सिंह कहते हैं कि आज से दस साल पहले कॉल सेंटर का भारत में भी एक बड़ा बाजार खड़ा हो रहा था, आज कॉल सेंटर सिकुड़ कर रह गया है। इस क्षेत्र के लाखों युवा बेरोजगार हो गए। परविंदर सिंह कहते हैं कि सुजुकी, होंडा की कंपनियों में जाइए और तब आप देखेंगे कि वहां आईटी के साफ्टवेयर पर रोबोट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के सहारे कितने बड़े काम कर रहे हैं। देश के प्रमुख मीडिया चैलन में भी एक रोबोट ने खबर प्रस्तोता की जिम्मेदारी निभा रहा है। अभी तक के परीक्षण में लगातार सफल है और जल्द ही वह टीवी के स्क्रीन पर रोज दिखाई पड़ेगा। परविंदर कहते हैं कि अब तो ड्रोन के जरिए आप मानिटरिंग कर सकते हैं। रोबोट के जरिए ट्रैफिक संचालन, सीमा की निगरानी और दुश्मन का सफाया भी कर सकते हैं। इस दिशा में भारतीय सैन्य बलों को अपनी सेवा दे रहे हर्षा किक्केरी आंखे खोल देने वाले डेवलपमेंट की जानकारी दे रहे हैं। हर्षा कहते हैं कि एक स्मार्ट आदमी भूल कर सकता है, लेकिन इंसानी दिमाग से तैयार हुई मशीन के बारे में यह बात नहीं है। वह अपनी प्रोग्रामिंग पर काम करती है और इसमें कोई त्रुटि नहीं होती।


आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस देगा सुविधा, लेकिन खाएगा नौकरियां

चैटजीपीटी, जेमिनी, कोपायलट जैसे इंस्ट्रूमेंट एआई कोड लिखने में काफी निपुण हैं। ये सी++,जावा जैसे प्रोग्रामिंग को जानने वाले विशेष कौशल को तेजी से पीछे छोड़ रहे हैं। राजेश चौधरी कहते हैं कि यही रफ्तार बनी रही तो इस क्षेत्र के तमाम काम अब इन इंट्रूमेंट से लिए जाएंगे। आईबीएम के अनुराग श्रीवास्तव कहते हैं कि अपके अखबार को अच्छी खबरों से भर देने वाला साफ्टवेयर आ रहा है। यह किसी भी डेस्क पर बैठे या फील्ड से खबर भेजने वाले रिपोर्टर से अच्छा और उसकी भाषा में बिना त्रुटि के खबरों लिख देगा। बस उसे कमान भर देना होगा। संपादित कर देगा और पेज पर लगा देगा। इस तरह से आप कह लीजिए एआई एक्सपर्ट ने जिस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को तैयार किया है अब यह उन्हीं की छुट्टी करने जा रहा है। इस तरह से 2024 एआई और इसके जरिए लागत में कमी के कारण तकनीकी क्षेत्र में 135 प्रतिशत से अधिक छटनी संभव है। तमाम बड़ी कंपनियों ने अकेले इस साल 35 हजार से तकनीकी कर्मचारियों की छुट्टी कर दी है। अब अमेजन, गूगल जैसे प्लेटफार्म पर सामान बेचने के लिए एक्जीक्यूटिव की जरूरत नहीं है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस काफी है। बताते हैं अमेरिका में आर्थिक मंदी की आहट सुनाई देने लगी है। इस आहट में करीब 1.40 लाख लोग छंटनी का शिकार हो चुके हैं। 

जब एक स्मार्ट टीचर एक लाख बच्चों को पढ़ाएगा तो एक लाख बच्चे पढक़र क्या करेंगे?

तकनीक के असंतुलित प्रयोग और इसके सामान्य धारा में प्रयोग से केके पंत काफी चिंतित हैं। केके पंत बेरोजगारी की समस्या पर काम कर रहे हैं। पंत कहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में दक्ष युवा का जीवन स्तर अच्छा रहता है। इसके बाद पढ़ाई लिखाई में अव्वल रहने वाले युवा अच्छा जीवन जीते हैं। सब अपने हुनर, ज्ञान, कौशल से आगे बढ़ते हैं। लेकिन यह चिंता की बात है कि जब एक लाख छात्रों को एक स्मार्ट टीचर पढ़ा सकेगा तो एक लाख युवा पढक़र करेंगे क्या? जीवन और रोजी-रोटी कैसे चलाएंगे? उनका ज्ञान कहां उपयोग में आएगा? पंत कहते हैं कि आने वाले समय में भी बेरोजगारी घटने के लक्षण नहीं हैं। हां, देश के तमाम क्षेत्रों में नौकरी में कमी आ सकती है। छटनी बढ़ सकती है। अब तो मशीन से ही आप पकौड़ा छान सकते हैं। बेंच भी सकते हैं। इंसान की जरूरत बस तैयार पकौड़े को खाने के लिए पड़ेगी।

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