पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। राज्य के सरकारी शिक्षकों को उनके स्कूल के नजदीक आवास मुहैया कराने की योजना अधर में लटक गयी है। इसको लेकर बनने वाली नीति की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने कमेटी भी बनाई थी, पर यह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
मालूम हो कि शिक्षा विभाग ने अक्टूबर, 2023 में विज्ञापन जारी कर इच्छुक मकान मालिकों तथा रियल स्टेट कंपनियों से प्रस्ताव मांगा गया था कि वे कितने फ्लैट-मकान दे सकते हैं, अथवा अगले एक-दो वर्षों में कितने आवास बना सकते हैं। इसके बाद इच्छुक कंपनियों के साथ नवंबर, 2023 में प्रमंडलवार बैठक भी हुई थी।
हालांकि, बैठक में ही बिल्डरों और कंपनियों ने यह बात कही थी कि शिक्षकों को मिलने वाले किराये भत्ते में आवास मुहैया कराना मुश्किल होगा, खासकर शहरी इलाकों में। विभाग की तैयारी थी कि शिक्षकों को दूरस्थ क्षेत्रों में आवास की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए दो मॉडल होंगे। पहले में जिले, प्रखंडों और ग्राम पंचायतों में बने हुए मकान किराये पर तत्काल लिये जाएंगे।
दूसरे मॉडल के तहत रियल स्टेट कंपनियों और अन्य फर्मों-व्यक्तियों से भी प्रस्ताव आमंत्रित किया गए थे, वह जिला, अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय में ऐसी बहुमंजिला इमारतें बनाएं, जहां केवल विभाग के शिक्षक रहेंगे। ये इमारतें निजी कंपनियां अपने खर्च पर बनाएंगी और शिक्षा विभाग उन्हें दीर्घकालिक लीज पर लेगा और हर माह किराये का भुगतान करेगा।
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