बेरोजगारी से निपटना सबसे बड़ी चुनौती, इन उपायों से रोजगार दिलाने की हो रही कोशिश

 देश में इस समय बेरोजगारी दर 8.3 फीसदी के करीब है। सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार मई के महीने में बेरोजगारी दर सात फीसदी के करीब दर्ज की गई थी जो जून में 9.2 फीसदी तक पहुंच गई थी। इस दृष्टि से देखें तो बेरोजगारी दर में कमी आई है। लेकिन इसके बाद भी यह चिंताजनक स्तर पर बनी हुई है। इससे निपटना केंद्र-राज्य सरकारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। केंद्र और राज्य सरकारें विभिन्न योजनाओं में भारी निवेश कर और स्किल डेवलपमेंट कर बेरोजगारी से निपटने की कोशिश कर रही हैं। 




किसी देश के सेवा क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा विस्तार को उसके विकसित होने की गारंटी मान लिया गया है, लेकिन अर्थव्यवस्था के जानकार मानते हैं कि मूलभूत ढांचे में निवेश और उत्पादन की लाइन में निवेश बढ़ाकर ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। यदि बढ़ती आबादी में अधिक से अधिक लोगों को रोजगार दिलाना है तो सरकारों को इसी दिशा में काम करना चाहिए।

आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. नागेंद्र कुमार शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि केंद्र सरकार ने मूलभूत ढांचे में भारी निवेश को विकास का मूलमंत्र बना रखा है। जिस समय दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हिचकोले खाती हुई दिखाई दे रही हैं, उस समय में भी यदि भारत ने अपनी विकास दर बनाए रखने में सफलता पाई है, तो इसके लिए उसके इस मंत्र को ही श्रेय दिया जा सकता है। यदि भारत को लगातार आठ फीसदी के करीब विकास दर हासिल करनी है तो उसे यह रणनीति बरकरार रखनी होगी। 



उन्होंने कहा कि लेकिन लंबे समय में लोगों को स्थाई रोजगार देने के लिए हमें एक बार फिर से उत्पादन को ही अपनी ताकत बनाना होगा। कपड़े उत्पादन, कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाकर ही हम अपनी 60 फीसदी से अधिक ग्रामीण आबादी को आर्थिक सुरक्षा दे सकते हैं। इसके अलावा भारत को अपने पारंपरिक व्यवसायों जैसे मसाला उत्पादन, आभूषण निर्माण पर जोर देना होगा।      

  कौशल विकास से रोजगार दिलाने की कोशिश

स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध) पर मौजूद केंद्र सरकार की सभी प्रमुख कौशल प्रशिक्षण योजनाएं बता रही हैं कि केंद्र सरकार ने युवाओं को नई चुनौतियों को देखते हुए लोगों को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने का रास्ता तैयार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को नौकरियां उपलब्ध कराने का काम किया गया है। इसके अंतर्गत तीन महीने, छह महीने और एक साल के कौशल विकास आधारित प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे युवाओं को नौकरी मिल सके। केंद्र सरकार की इस योजना का उद्देश्य युवाओं को औद्योगिक संगठनों में काम करने योग्य तैयार करना है। 


स्वरोजगार ही बेरोजगारी का सबसे बेहतर जवाब

लेकिन केंद्र सरकार भी यह समझती है कि नौकरियां एक सीमित संख्या में ही उपलब्ध कराई जा सकती हैं। केंद्र-राज्य सरकारों से लेकर निजी औद्योगिक क्षेत्रों में भी एक सीमित संख्या में ही लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। यही कारण है कि केंद्र सरकार लोगों से स्वरोजगार को अपनाने पर बल दे रही है। लोगों के स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए ही पीएम विश्वकर्मा योजना लागू की गई है, जिसका लाभ 18 वर्गों के लोगों को मिल रहा है। इसके अंतर्गत सस्ता कर्ज उपलब्ध कराकर लोगों को स्वरोजगार को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।  


स्किल इंडिया की इन कमियों को किया दूर

आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि अब तक चल रहे स्किल इंडिया कार्यक्रमों की एक सीमा भी सामने आई थी। इनमें प्रशिक्षित युवाओं को भी रोजगार पाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। उन्हें न तो औद्योगिक क्षेत्रों में नौकरी मिल रही थी और न ही वे अपना उद्योग शुरू कर पा रहे थे। लेकिन जानकारों के अनुसार, नई कौशल विकास योजना और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा जैसी योजनाओं के जरिए इन कमियों को दूर किया गया है। औद्योगिक संगठनों के अंदर ही व्यावसायिक माहौल में लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें औद्योगिक इकाइयों में काम करने योग्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बजट में भी इसके लिए प्रावधान कर इसके लिए औद्योगिक संगठनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जानकारों के अनुसार अब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं

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