पुरानी पेंशन मिलेगी या नहीं, 24 घंटे में निर्णय संभव, पहली बार पीएम मोदी करेंगे कर्मचारियों संग बैठक

 केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 'एनपीएस' सुधार की बात कही थी। उन्होंने 'पुरानी पेंशन' का जिक्र तक नहीं किया। उसके बाद संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा, कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के विचाराधीन नहीं है। इसके बाद कर्मचारी निराश हो गए। अब दो राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी, 24 अगस्त को स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (JCM) के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे। एक दशक में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब पीएम मोदी ने कर्मचारी संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। पीएम आवास पर होने वाली इस बैठक में कर्मचारियों के हितों से जुड़े कई दूसरे मुद्दों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।  




बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद समाजवादी सरकार के तीन बदलाव से नजर आ रहे हैं। पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार में कर्मचारी नेताओं की बैठक होगी। मतलब ओ पी एस पर आर या पार, कुछ तो हो जाएगा। एक दस्तावेज़ीएफ़ के महासचिव और एआईटीयूसी के राष्ट्रीय सचिव सी. श्रीकुमार ने केंद्रीय बजट पेश करने के बाद कहा कि केंद्रीय बजट, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदों तक पहुंच विफल हो रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्णय दिया कि पेंशन में कोई भी प्रावधान नहीं है, पेंशन में कोई अनुग्रह राशि नहीं है, पेंशन में कोई ऐसी चीज नहीं है जो राज्य की इच्छा के अनुसार हो। यह प्रत्येक सरकारी कर्मचारी का मूल अधिकार है। सरकार, सर्वोपरि आदर्श विचारधारा बनने की उम्मीद रखती है, अब वह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का भी सम्मान नहीं कर रही है।



एन पी एस संशोधन पर ही बात


श्रीकुमार ने कहा, जब भी केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब वित्त मंत्री ने बजट में सरकारी कर्मचारियों से संबंधित 'ओपीएस' को लेकर कोई घोषणा नहीं की। उन्होंने एकमात्र घोषणा की, एनपीएस में जाने वाले संशोधन के बारे में बताया गया था। पेंशन के बारे में केंद्रीय बजट में कोई घोषणा नहीं होने से, सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी पूरी तरह से निराश हो गए थे।




अर्थशास्त्री श्रीकुमार, सरकारी कर्मचारी, पोर्टफोलियो साक्षात्कार या युवा के माध्यम से नौकरी पर नहीं आते हैं। नौकरी के लिए उपयुक्त उनके लिए कई चयनित छात्र और पर्यटन स्थल हैं। सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी के प्रति आकर्षण, नौकरी की सुरक्षा और गैर-अंशद पेंशन पेंशन का कारण था। खैर ही वे आचरण-अध्यक्ष के नाम पर सैकड़ों पैनल से उठे हुए थे। सरकारी कर्मचारियों का पेंशन अधिकार, एक मूल अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ये बात कह दी है.



एन कर्मचारियों को स्नातक के बाद अपनी सेवा काल की संचित बचत का 40 प्रतिशत भाग, पीएफ ड्राय के पास रखना होता है। उन्हें दो चार हजार रुपये की मार्जिनल पेंशन दी गई है। पर, ग्रुप-सी के कर्मचारी, अनुपातिक संख्या सरकार में अधिक है, उन्हें एनपीएस में 2000 से 4000 रुपये की पेंशन है। एक तरफ सरकार, विदेशी कंपनियों समेत धार्मिक घरों को हर तरह का फायदा और राहत देने में खुशी है तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी कर्मचारियों समेत श्रमिक वर्ग को पूरी तरह से उपरक्षित किया जा रहा है।  




भारत सरकार के अंतर्गत 15 लाख से अधिक कर्मचारी एनपीएस आते हैं। पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की उनकी मांग को सरकार ने खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार के कर्मचारी अपने साथ हुए अन्याय को स्वीकार नहीं करेंगे। वे अपना पेंशन अधिकार वापस पाने के लिए संघर्ष करेंगे। हरियाणा में लंबे समय से कर्मचारी, ओपीपीएस के लिए आंदोलन कर रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेन्द्र ने कहा था कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी है तो पहली बार ओ.पी.एस. की बैठक में। जम्मू-कश्मीर में ओ.पी.एस. को एक बड़ा खजाना बन चुका है।





'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल, हरियाणा व जेएंडके के कर्मचारी संगठनों से बात कर चुके हैं। पटेल ने कहा, सरकार को ओपीएस तो बहाल करनी ही पड़ेगी। आप ये काम चाहें एनपीएस को रद्द करके करें या एनपीएस को टेक्निकली ओपीएस बनाकर करें। जब तक ओपीएस मिल नहीं जाती, देशभर के 85 लाख कर्मचारी चुप बैठने वाले नही हैं। उन्होंने पिछले दिनों घोषणा की थी कि एक महीने के भीतर अगर ओपीएस पर गजट नहीं आता है तो नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत, संसद घेराव की डेट का एलान करेगा। 




बतौर पटेल, पूर्व वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का कहना था कि ओपीएस बहाली संभव नहीं। उन्होंने इसके कारण गिनाए हैं। क्या सोमनाथन यह बताएंगे कि हर महीने 12000 करोड़ रुपये लेने वाले बैंक कोई निश्चित ब्याज नहीं देंगे, लेकिन इन्हीं बैंकों से जब आप 10000 रुपये का भी लोन लेते हैं तो ये फिर ये निश्चित ब्याज क्यों लेते हैं। हमारे 15 लाख करोड़ रुपए पर एक भी पैसे का ब्याज गारंटीड क्यों नहीं है। दूसरी बात जब 'एनपीएस' को हुबहू 'ओपीएस' में कनवर्ट किया जा सकता है तो फिर सरकार इस पर बात क्यों नहीं कर रही। 


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