राज्य में 3500 से अधिक शिक्षक ऐसे है, जो फर्जी है। ये सभी नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा पास हैं। सर्टिफिकेट जांच के दौरान इनकी नियुक्ति में हुई गड़बड़ी पकड़ में आई है। तकरीबन 1200 तो ऐसे शिक्षक हैं जिनके अंगूठे का निशान उनके आधार कार्ड से मैच ही नहीं हो रहा। कई फर्जी सीटीईटी, बीटीईटी, एसटीईटी, दिव्यांग, जाति सर्टिफिकेट के सहारे पिछले 10 वर्ष से नौकरी कर रहे थे। जब सक्षमता परीक्षा का फॉर्म भरा जा रहा था उस दौरान भी 1200 से अधिक फर्जी शिक्षक पकड़ में आए थे। अब शिक्षा विभाग फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इन शिक्षकों से बीते 10 साल के वेतन की रिकवरी होगी।
सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों की काउंसिलिंग के दौरान लगभग 400 से अधिक शिक्षक ऐसे मिले है, जिनके पास निर्धारित योग्यता नहीं है। बीबीए, बी फॉर्मा, सीटीईटी में 60% से कम अंक वाले भी शिक्षक बन गए। ऐसे शिक्षक भी मिले हैं, जिनकी नियुक्ति 1 से 5वीं क्लास के टीचर के रूप में हुई, जबकि 6वीं से 8वीं की सक्षमता परीक्षा पास की। कई की बहाली राज्य की आरक्षित कोटि में हो गई है। नियमानुसार नियुक्ति में आरक्षण का लाभ बिहार के निवासियों को ही मिलना है। दूसरे राज्य के आरक्षित वर्ग की किसी भी श्रेणी के अभ्यर्थियों की गणना सामान्य वर्ग में होनी है। यानी इन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलना था।
कैसे पकड़े गए फर्जी शिक्षक
1-मार्कशीट के जांच के दौरान 2-आधार कार्ड, फिंगर प्रिंट की जांच 3-एक ही शिक्षक दो जगहों पर कार्यरत 4-सीटीईटी, बीटीईटी, एसटीईटी, दिव्यांग, जाति सर्टिफिकेट की जांच के दौरान
जांच के बाद वेतन रिकवरी
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। निलंबन के साथ ही उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। विभागीय जांच के बाद इनसे वेतन रिकवरी भी होगी। - मिथिलेश मिश्रा, निदेशक, प्राथमिक शिक्षा
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