एकीकृत पेंशन योजना नियमों की घोषणा 15अक्टूबर तक
नयी दिल्ली (एजेंसी)। अगस्त 2024 में केंद्र सरकार ने केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड प्रोविडेंट स्कीम (यूपीएस) शुरू करने की घोषणा की थी। इस योजना से लगभग 23 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलने का अनुमान है। फिलहाल में जारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के विपरीत यूपीएस केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था है। यानी यह कर्मचारियों पर निर्भर है कि वह इस स्कीम (यूपीएस) का हिस्सा बनना चाहते हैं या एनपीएस काअंग्रेजी वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार 15 अक्तूबर 2024 तक एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) नियमों की घोषणा करेगी। यह स्कीम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विभागों के बीच समन्वय प्रयासों का नेतृत्व कर रहे हैं।
कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय कर्मचारियों के प्राथमिकताओं का आकलन करेगा, जबकि प्रशासन सुधार और कार्मिक शिकायत विभाग योजना के लिए नियम कानून बनायेगा। वहीं, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण योजना के निवेश घटकों की देखरेख करेगा. इसके अतिरिक्त, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग और राष्ट्रीय सुरक्षा डिपॉजिटरी लिमिटेड इस स्कीम को डिजाइन करने और ऑपरेट करने पर काम कर रही है.
मोदी सरकार ने अप्रैल 2023 में टीवी सोमनाथन की अगुवाई में एक कमिटी गठन की थी. इसी कमेटी ने सभी राज्य के वित्तीय सचिव, नेताओं और सैकड़ों कर्मचारी यूनियन से चर्चा कर केंद्र सरकार को यूपीएस लागू करने की सिफारिशें की हैं। साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने ओपीएस को खत्म कर एनसीएस लायी थी। एनपीएस 1 अप्रैल 2024 से लागू है। ओपीएस वाले कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुन सकते हैं। यह 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। यूनिफाइड पेंशन स्कीम में निश्चित पेंशन की गारंटी है। यूपीएस के तहत कर्मचारी को रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 फीसदी पेंशन दिया जायेगा। हालांकि, इसके लिए शर्त यह है कि कर्मचारी 25 साल नौकरी की हो।
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