भर्ती के बाद भी जिले के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी
जिले के शहरी क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में छात्रों की कमी है पर शिक्षक अधिक हैं, लेकिन 12वीं कक्षा में सभी स्कूलों में सीट खाली रह गया है। जिले के 285 प्लस टू स्कूलों में कहीं छात्र तो कहीं शिक्षकों का अभाव है। जिले में प्रत्येक वर्ष 42 से 45 हजार छात्र बिना पढ़ाई के इंटर पास हो जाते हैं। जिले के चर्चित स्कूल एसएस बालिका में वर्तमान में 2,955 छात्राओं का नामांकन है, जिसमें 1,118 छात्राएं प्लस टू में पढ़ाई कर रही हैं। यहां मात्र तीन शिक्षक हैं। प्राचार्या माधुरी कुमारी ने कहा कि इंग्लिश में एक, गृह विज्ञान में एक, जन्तु विज्ञान में एक शिक्षक हैं। इसके अलावा हिन्दीविषयों में शिक्षकों का अभाव है। क्लास मोनिटर के द्वारा क्लास लिया जाता है। वहीं टीएवी कॉलेजिएट में इंटर में 551 छात्रों का नामांकन है जिसमें संगीत, हिन्दी, कंप्यूटर, जन्तु विज्ञान में एक-एक शिक्षक हैं। बाकी सभी विषयों में शिक्षकों का अभाव है। वहीं कॉमर्स में 101 छात्रों का नामांकन है, लेकिन शिक्षक एक भी नहीं है। इन छात्रों की पढ़ाई भगवान भरोसे है। जिला स्कूल में 1024 छात्रों पर बॉटनी व जुलॉजी में एक-एक शिक्षक हैं। संस्कृत, फिजिक्स, केमिस्ट्री सहित अन्य विषयों में शिक्षक का अभाव है। मोक्षदा बालिका, प्लस टू स्कूल कझिया सहित अन्य स्कूलों में भी तीन शिक्षकों के भरोसे प्लस टू की क्लास चल रही है।
शिक्षा विभाग के निर्देश के अनुसार छात्रों का 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिर्वाय है। छात्र स्कूल से बिना पढ़ाई किये स्कूल से लौट जाते हैं। टीएनबी कॉलेजिएट के छात्र विकास व रोहित ने कहा कि स्कूल आते हैं। शिक्षक नहीं होने के कारण सभी विषयों की पढ़ाई नहीं हो पाती है। निजी कोंचिग जाने का समय नहीं मिलता है। स्कूलों में उपस्थिति जरूी है। 12वींपरीक्षा की तैयारी नहीं हो पा रही है। विज्ञान विषय में स्वाध्याय से कुछ समझ नहीं आता है।
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