राज्य में हर पांच साल पर अध्यापकों का होगा ट्रांसफर होगा
बिहार के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का हर पांच साल में अनिवार्य रूप से तबादला होगा। सोमवार से लागू की गई सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की स्थानांतरण-पदस्थापन नीति में इसका प्रावधान किया गया है। नई नीति के तहत पुरुष शिक्षकों का उनके गृह अनुमंडल और महिलाओं का उनके गृह पंचायत-नगर निकाय में तबादला-पदस्थापन नहीं होगा।
शिक्षकों के स्थानांतरण और पदस्थापन को लेकर जल्द ही उनसे ऑनलाइन आवेदन लिये जाएंगे। एक शिक्षक से दस विकल्प मांगे जाएंगे। विकल्प के रूप में जिला, अनुमंडल, प्रखंड, पंचायत और निकाय होंगे, ना कि स्कूल। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति प्राप्त करने के बाद शिक्षा विभाग ने सोमवार को शिक्षकों की स्थानांतरण-पदस्थापन नीति की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके दायरे में कार्यरत सभी पौने छह लाख शिक्षक आयेंगे।
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि शीघ्र ही शिक्षकों से आवेदन लिये जाएंगे। आवेदन के लिए शिक्षकों को पर्याप्त समय दिये जाएंगे। दिसंबर महीने में छुट्टी की अवधि के दौरान शिक्षकों का नये स्कूलों में पदस्थापन कर दिया जाएगा। ताकि, स्कूलों में पढ़ाई बाधित नहीं हो। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का निर्देश था कि ऐसी नीति बनायें वि बनायें कि शिक्षकों को कोई परेशानी नहीं हो, वे संतुष्ट रहें। इसको देखते हुए विभाग के द्वारा उदार नीति बनी है। इसमें अधिक से-अधिक शिक्षक निश्चित रूप से संतुष्ट होंगे। मंत्री ने कहा कि नये पदस्थापन के बाद नियोजित शिक्षक भी सरकारी शिक्षक हो जाएंगे।
ऐसे में अब सभी शिक्षकों की जिम्मेदारी बनती है कि वो पूरी लगन से बच्चों को पढ़ाएं। सक्षमता पास को ही मौकाः मंत्री ने यह भी साफ किया कि इस नीति के तहत वे नियोजित शिक्षक ही आवेदन करेंगे, जो सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण हैं और उनकी काउंसिलिंग पूरी हो गयी है। इसके अलावा बिहार लोक सेवा आयोग से चयनित शिक्षक तथा पूर्व से कार्यरत नियमित शिक्षक इस नीति के दायरे में आएंगे।
मालूम हो कि सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों की संख्या एक लाख 87 है। इनमें डेढ़ लाख शिक्षकों की काउंसिलिंग हो गयी है। स्थानीय राजनीति में संलिप्तता, वित्तीय अनियमित्ता, नैतिक अधमता के मामले सामने आने पर शिक्षकों का जिले के बाहर प्रमंडलीय आयुक्त अथवा विभाग के निदेशक स्थानांतरण करेंगे।
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