कामन स्कूल सिस्टम वर्तमान समय में प्रासंगिक
जागरण संवाददाता, पटना : कामन स्कूल सिस्टम वर्तमान में प्रासंगिक है। विकसित देश इसे अपना कर 100 प्रतिशत साक्षरता दर को प्राप्त किया है। कोठारी कमिशन के समय इसको लेकर बेहतर मौका था, लेकिन उस समय चूक हुई है। ये बातें काउंसिल फार सोशल डेवलपमेंट, नई दिल्ली के प्राध्यापक प्रो. जेबीसी तिलक ने कहीं। वह शनिवार को एएन सिन्हा अनुसंधान संस्थान की ओर से आयोजित दो दिवसीय "शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) की धारा 12 (1) (c) के अंतर्गत प्राइवेट स्कूलों में वंचित वर्ग के बच्चों के प्रवेश से संबंधित" राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कोई भी निजी स्कूल यह नहीं कह सकता कि वह सरकार के अधीन नहीं है। सरकार निजी राष्ट्रीय कार्यशाला स्कूलों को किसी न किसी रूप में जरूरत लाभांवित करती है। कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब बच्चों के नामांकन में निजी स्कूल कई तरह की बहाना बनाती है। इसमें समय पर फंड नहीं मिलने, गरीब बच्चों के नामांकन होने पर सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश को लेकर भी सवाल उठाते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं आइआइएम अहमदाबाद के विजिटिंग प्राध्यापक डा. संदीप पांडेय ने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत नामांकन का अधिकार केवल छलावा है। इस अधिनियम में उपरी सीमा तय नहीं है, इसके बावजूद स्कूलों में सीट का 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों का नामांकन नहीं होता है।
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